कातिल निगाहों पर शायरी
क़त्ल कर देती है, तुम्हारी एक नज़र कई हज़ारों का, मुझे तो डर है, क्या होगा अब उन भीड़ भरे बाज़ारों का..
कातिल निगाहों पर शायरी
नज़र में ख़्वाब नए,रात भर सजाते हुए, तमाम रातें कटी तुमको गुनगुनाते हुए, तुम्हारी बात,ख़याल में गुमसुम सभी, ने देख लिया हमको मुस्कराते हुए..
कातिल निगाहों पर शायरी
ना जाने तुझे कैसा ये हुनर आता है मैं तेरे प्रेम से बच कर जाऊं तो कहाँ जाऊं तू मेरी सोच की हर दहलीज़ पे नज़र आता है..
कातिल निगाहों पर शायरी
तुझे देख कर ये जहां रंगीन नजर आता है. तेरे बिना दिल को चैन कहां आता है, तू ही है मेरे इस दिल की धड़कन, तेरे बिना ये जहां बेकार नज़र आता है..
कातिल निगाहों पर शायरी
निगाहों से तीर तुम चला रही हो, नज़रों से मुझे पागल बना रही हो, यह कैसा जादू किया है तुमने, मेरे सीने से दिल लेकर जा रही हो…
कातिल निगाहों पर शायरी
कौन आया है कि निगाहों में चमक जाग उठी, दिल के सोये हुए तरानों में खनक जाग उठी, किसके आने की खबर ले कर हवाएँ आई, रूह खिलने लगी साँसों में महक जाग उठी…
कातिल निगाहों पर शायरी
नज़र मुझसे मिलती हो, तो तुम शर्मा सी जाती हो, इसिको प्यार कहतें हैं, इसीको प्यार कहतें हैं..
कातिल निगाहों पर शायरी
आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती हैं, हर वक्त आपको ही बस याद करती हैं, जब तक न कर ले दीदार आपका, तब तक वो आपका इंतजार करती हैं..
कातिल निगाहों पर शायरी
तेरे बिन बोले ही मुझे मेरे, प्यार का जवाब मिल गया, तेरी नज़रे झुकी और, हमारे प्यार का फूल खिल गया..
कातिल निगाहों पर शायरी
तेरी नीली आँखों का में काजल बन जाऊ, तेरी आँखों में आँसू का मैं बादल बन जाऊ, ख्वाहिश तो मेरी हर पल हैं इतनी तेरे रास्ते, के काँटों की मैं चादर बन जाऊ…
कातिल निगाहों पर शायरी
तू बेखबर होगी पर मैं तेरी हर खबर रखता हूँ, कहीं नज़र ना लग जाए तुझे ज़माने की इसी परेशानी में सारे ज़माने पर नज़र रखता हूँ..
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