मासूम तिरछी नज़र शायरी: masoom tirchhi nazar shayari
मत देखा करो तुम मुझे इन तिरछी नशीली निगाहों से
यह मेरा पत्थर सा दिल भी पिघल कर मोम हो जाता है..
महफ़िल में हम भी थे, महफ़िल में वह भी थे, हमने नज़र हटाई नहीं, और उन्होंने नज़र मिलायी नहीं..
महफ़िल में हम भी थे,
महफ़िल में वह भी थे,
हमने नज़र हटाई नहीं,
और उन्होंने नज़र मिलायी नहीं..
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जब देखा उन्होंने अपनी तिरछी नजर से,
कसम खुदा की मदहोश हो गए हम,
जब पता चला उनकी नजर ही तिरछी है,
तो वही खड़े खड़े बेहोश हो गए हम..
जब देखा उन्होंने अपनी तिरछी नजर से,
कसम खुदा की मदहोश हो गए हम,
जब पता चला उनकी नजर ही तिरछी है,
तो वही खड़े खड़े बेहोश हो गए हम..
नज़र बहाने नज़र सनम को नज़र लडा़ते नज़र से देखा,
नज़र पड़ी नज़र के ऊपर नज़र चुराते नज़र से देखा..
नज़र बहाने नज़र सनम को नज़र लडा़ते नज़र से देखा,
नज़र पड़ी नज़र के ऊपर नज़र चुराते नज़र से देखा..
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आज भी नहीं बदली उनकी
ये नजर चुराने की आदत
ज़माने से कभी मेरे लिए
और अब ज़माने के लिए हमसे..
आज भी नहीं बदली उनकी
ये नजर चुराने की आदत
ज़माने से कभी मेरे लिए
और अब ज़माने के लिए हमसे..
यूं तो अक्सर बाते होती
है उनकी नजरो से
पर नजरो के लफ्ज़ अक्सर
उनके समझ नही आते है..
यूं तो अक्सर बाते होती
है उनकी नजरो से
पर नजरो के लफ्ज़ अक्सर
उनके समझ नही आते है..
मत मुस्कुराओ इतना कि फूलों को खबर लग जाए,
करें वो तुम्हारी ताऱीफ इतनी कि नज़र लग जाए.
मत मुस्कुराओ इतना कि फूलों को खबर लग जाए,
करें वो तुम्हारी ताऱीफ इतनी कि नज़र लग जाए.
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जब देखा उन्होंने तिरछी नजर से,
कसम खुदा की मदहोश हो गए हम,
जब पता चला नजर ही तिरछी है,
तो बही खड़े-खड़े बेहोश हो गए हम..
जब देखा उन्होंने तिरछी नजर से,
कसम खुदा की मदहोश हो गए हम,
जब पता चला नजर ही तिरछी है,
तो बही खड़े-खड़े बेहोश हो गए हम..
दिलों का ज़िक्र ही क्या है मिलें मिलें न मिलें
नज़र मिलाओ नज़र से नज़र की बात करो..
दिलों का ज़िक्र ही क्या है मिलें मिलें न मिलें
नज़र मिलाओ नज़र से नज़र की बात करो..
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