नज़रें मिल जाएं तो प्यार हो जाता है,पलकें उठ जाएं तो इज़हार हो जाता है,ना जाने क्या कशिश है आपकी चाहत में,कि कोई अनजान भी हमारी ज़िन्दगी का हक़दार हो जाता है…
नज़रें मिल जाएं तो प्यार हो जाता है,पलकें उठ जाएं तो इज़हार हो जाता है,ना जाने क्या कशिश है आपकी चाहत में,कि कोई अनजान भी हमारी ज़िन्दगी का हक़दार हो जाता है…
लहू से सींचकर अपने ज़र्रे-ज़र्रे कोसाहरां में एक नया गुलिश्ताँ बनाया थाखिलेंगे गुल यहां हर रंग ओ खुशबू केख़्वाब दिल में बागबां ने यही सजाया था..