bahte aansu par shayari

मेरे बहते आंसुओ की कोई कदर नहीं क्यों इस तरह नजरो से गिरा देते हो क्या यही मौसम पसंद है तुम्हे जो सर्द रातो में आंसुओ की बारिश करवा देते हो. 

जिन्हें सलीका है ग़म समझने का उन्हींके  रोने में आँसू नज़र नहीं आते…  ख़ुशी की आँख में आँसू की भी जगह  रखना बुरे ज़माने कभी पूछकर नहीं आते… 

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काश बनाने वाले ने हमको आँसू बनाया होता, और मेहबूब की आँखों में बसाया होता, जब गिरते उनकी आँखों से उनकी ही गोद में, तो मरने का मज़ा कुछ अलग ही आया होता. 

मुझको ऐसा दर्द मिला जिसकी दवा नहीं, फिर भी खुश हूँ मुझे उस से कोई गिला नहीं, और कितने आंसू बहाऊँ मैं उसके लिए, जिसको खुदा ने मेरे नसीब में लिखा नहीं. 

सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई, आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई, जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से, मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई. 

आगोश-ए-सितम में छुपाले कोई, तन्हा हूँ तड़पने से बचा ले कोई, सूखी है बड़ी देर से पलकों की जुबां, बस आज तो जी भर के रुला दे कोई.. 

मुझको ऐसा दर्द मिला जिसकी दवा नहीं, फिर भी खुश हूँ मुझे उस से कोई गिला नहीं, और कितने आंसू बहाऊँ मैं उसके लिए, जिसको खुदा ने मेरे नसीब में लिखा नहीं. 

आँखों में आँसुओं की लकीर बन गई, जैसी चाही थी वैसी ही तकदीर बन गई, हमने तो चलाई थीं रेत में उँगलियाँ, गौर से देखा तो आपकी तस्वीर बन गई.