बेदर्द इश्क चढ़ा कुर्बान

नयनों से नैन मिलाकर  महोब्बत का इजहार करूँ बन कर ओस की बुँदे जिन्दगी तेरी गुलजार करूँ संवर जाएगी तेरी मेरी जिन्दगी  इश्क के सफर में थाम ले तू हाथ मेरा  मैं तेरे हर वादे पे ऐतबार करूँ..

बार-बार वो हमपे इलज़ाम लगाते है कि वो कितना ही सम्भाले अपना दिल हम हर दफा चुरा ले जाते है

शायरी उसी के लबों पर सजती है साहेब, जिसकी आँखों में इश्क रोता हो

दिवाना हर शख़्स को बना देता है इश्क सैर जन्नत की करा देता है इश्क, मरीज हो अगर दिल के तो कर लो इश्क, क्योंकि धड़कना दिलों को सिखा देता है इश्क

ये इश्क़ के इन्तहा थी या दीवानगी मेरी, हर सूरत में मुझे सूरत तेरी नज़र आने लगी.

प्यार का पहला इश्क़ का दूसरा मोहब्बत का तीसरा अक्षर अधूरा होता है इसलिए हम तुम्हे चाहते है क्योंकि चाहत का हर अक्षर पूरा होता है

मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शौहरत तेरा ज़िक्र ही कहाँ था मेरी दीवानगी से पहले

कैसे तुमसे भला किनारा हो तुम जिंदगी का सहारा हो तुम ही से होगा यह मेरा वादा है गर इश्क़ मुझको दोबारा हो

इश्क़ सभी को जीना सिखा देता है, वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है, इश्क़ नहीं किया तो करके देखो, जालिम हर दर्द सहना सीखा देता है

हमारी हजार शायरियों के बीच तुम्हारी, एक छोटी सी तारीफ ही इश्क है, ख़त्म हो जाता है जब इश्क़ जिस्मों का