चाहत के ये कैसे अफ़साने हुए खुद नज़रों में अपनी बेगाने हुए अब दुनिया की नहीं कोई परवाह हमें इश्क़ में तेरे इस कदर दीवाने हुए..
उस की आँखें गहरी झील सी उसकी ज़ुलफ़ों से घटा शरमाती हैं बेपनाह जो चाहते हैं किसी को उन से अकसर नींदें रूठ जाती हैं..
तेरी चाहत मे हम जमाना भूल गये किसी और को हम अपनाना भूल गये तूम से मोहब्बत हे सारे जहान को बताया बस एक तूझे ही बताना भूल गये..