बेपनाह चाहत शायरी:  bepanah chahat shayari in hindi

चाहत के ये कैसे अफ़साने हुए खुद नज़रों में अपनी बेगाने हुए अब दुनिया की नहीं कोई परवाह हमें इश्क़ में तेरे इस कदर दीवाने हुए..

मेरे होठो पे तुम्हारा ही नाम है दिल के इस झरोखे में तुम्हारा ही काम है दुनिया बदहवास हो चुकी है तुझे ढूंढने में मेरे दिल के कोने में तेरा ही मकान है.

उस की आँखें गहरी झील सी उसकी ज़ुलफ़ों से घटा शरमाती हैं बेपनाह जो चाहते हैं किसी को उन से अकसर नींदें रूठ जाती हैं..

गुलाब से हंसीं क्या हैं दुनियाँ में शायद तेरी भीनी सी मुस्कान तू यूँही खिलखिलाती रहना हमेशा हर दम हैं हम तेरे पास..

तुम्हारे शहर का मौसम  बड़ा सुहाना लगे  मैं एक शाम चुरा लूँ  अगर बुरा न लगे. 

सँवर जाऊँ गर तू मेरा हाथ थाम ले,  बिखर जाऊँ खुशबू सी गर तू एक बार देख ले, हो जाए मुकम्मल चाहत मेरी भी गर,  मेरी बिंदिया और मेहंदी में तू अपना नाम लिख ले..

लम्हों का इश्क़ नहीं,  सदियों की इबादत है, कैसे करे शिकायत,  हर सांस को तेरी चाहत है.

लबों से चाहत की खुशबू चुरायेगें बहुत हो गई दूरियाँ चलो अब पास आयेगें.. 

तेरी चाहत मे हम जमाना भूल गये किसी और को हम अपनाना भूल गये तूम से मोहब्बत हे सारे जहान को बताया बस एक तूझे ही बताना भूल गये.. 

वो जो सर झुकाया बैठे हैं, हमारा दिल चुराए बैठे हैं, हमने कहाँ हमारा दिल लैटा दो, वो बोली हम तो हाथो में  मेहँदी लगाये बैठे हैं..