तन्हाई का उसने मंज़र नहीं देखा,
अफ़सोस की मेरे दिल के अन्दर नहीं देखा,
दिल टूटने का दर्द वो क्या जाने,
वो लम्हा उसने कभी जी कर नहीं देखा..
gulzar ki tanhaiyan shayari in hindi
नहीं बदल सकते हैं हम,
खुद को औरो के हिसाब से,
एक लिबास हमें भी दिया है,
खुदा ने अपने हिसाब..
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बातों से सीखा है हम ने
आदमी को पहचानने का फन
जो हल्के लोग होते हैं
हर वक़्त बातें भारी भारी करते हैं..
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ये इश्क़ मोहब्बत की रिवायत भी अजीब है,
पाया नहीं है जिसको उसे खोना भी नहीं चाहते..
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कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता,
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साथ देने की क्या बात करते
हो मैने तो उनका साथ छोड़ने
मै भी उनका साथ दिया..
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जब मिला शिकवा अपनों से
तो ख़ामोशी ही भलीं,
अब हर बात पर जंग हो यह जरुरी तो नहीं..
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उसकी यादों से ही खुद को इतना गुलज़ार रखता हूं…
कि तन्हाईयाँ दम तोड़ देती हैं चौखट पे मेरी आकर…
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तन्हाई की दीवारों पर,
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा हैं..
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तिऩका तिऩका का़टे तोड़े़ सा़री रात़ क़टाई की,
क्यू़ इत़नी ल़म्बी हो़ती है़ चाँदनी रात जु़दाई की..
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