पहली बार मिलने की शायरी:  Pehli Mohabbat Pehli Bar Shayari

तेरी जुल्फें जो आंखो से होकर तेरे हसीन होठों तक आती है काश मै तेरा वो उंगली होता जो तेरे ज़ुल्फो को पीछे ले जाती है..

इश्क तुझसे करती हूँ मैं ज़िन्दगी से ज्यादा, मैं डरती नहीं मौत से तेरी जुदाई से ज्यादा, चाहे तो अज्माले मुझे किसी और से ज्यादा, मेरी ज़िन्दगी मैं कुछ नहीं तेरी मोहब्बत से ज्यादा..

मुस्कान का कोई मोल नहीं होता, रिश्तों का कोई तोल नहीं होता, लोग तो मिल जाते है हर रस्ते पर, लेकिन हर कोई आपकी तरह अनमोल नहीं होता..

इश्क करो तो मुस्कुरा कर, किसी को धोखा न दो अपना बना कर, करलो याद जब तक जिन्दा हैं, फिर न कहना चले गये दिल में यादे बसा कर..

मेरी हर ख्वाहिश तुम हो, मेरी चाहत मेरा प्यार तुम हो, तुम समझ न पाओ शायद इस बात को पर मेरी जिंदगी मेरे जीने की वजह तुम हो..

मेरे हमदम तुम बहुत खूबसूरत हो, इसलिए खुद को बुरी नज़र से बचाया करो, सिर्फ़ काजल ही काफी नहीं आंखों में इसलिए गले में नींबू-मिर्च भी लटकाया करो..

हम से न पूछो की वो कैसे लगते है, मुझे तो वो अपनों से बढ़ कर लगते है,  अजी दिल छोड़ो उनके लिए तो जान भी हाज़िर है, मगर मुश्किल ये के वो मुझे गैरों में गिनते है...

कहीं जाना तो अपनी जुल्फें बांध कर जाना आज कल हवाएं बहुत सरारत करने लगे है और तेरे दुपट्टे से खेलने को आदत मेरी देख कर आज कल हवाएं मेरा काम बिगाड़ने लगे है..

मेरी बाहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले,  अब बहुत देर से आजाद करूँगा तुझे..