तेरे बिना दिल नहीं लगता शायरी

तुम हकीकत-ऐ-इश्क़ हो, या फरेब मेरी आँखों का, ना दिल से निकलते हो, ना मेरी ज़िंदगी में आते हो..

तेरे बिना दिल नहीं लगता शायरी

गुज़र चुका जो वक़्त उसको याद करना क्या, अब बहुत हुआ ऐ इश्क़ तेरे लिए रोज़ रोज़ मरना क्या..

तेरे बिना दिल नहीं लगता शायरी

वक्त कम था बात अधूरी रह गयी, अच्छे लोगो से मुलाकात अधूरी रह गयी उसके जाने के बाद हम रोये बहुत, कौन कहता है बरसात अधूरी रह गयी..

तेरे बिना दिल नहीं लगता शायरी

इश्क़ अधूरा रह जाए तो, खुद पर नाज़ करना, कहते है सच्ची मोहब्बत, मुकम्मल नहीं होती..

तेरे बिना दिल नहीं लगता शायरी

आस तुझ से यूँ लगाई है हमने, कि अब मेरी क़िस्मत का हर फ़ैसला तू है, जो चाहे तू लिख दे इन लकीरों में, मेरे लिए तो मेरा खुदा तू है..

तेरे बिना दिल नहीं लगता शायरी

घर से निकलते ही रोज तुम्हे देखता हूँ, नजरों से तेरे हसीन यौवन को चूमता हूँ, लैला तेरे इश्क में बन के मैं आशिक, तेरी ही गली में सुबह शाम घूमता हूँ..

तेरे बिना दिल नहीं लगता शायरी

सिर्फ पर्दा दिखाई देता है,  देखिये क्या क्या दिखाई देता है,  मेरी हालात नजर नहीं आती,  मेरा सिकवा दिखाई देता है..

तेरे बिना दिल नहीं लगता शायरी

नया कुछ भी नहीं हमदम अब मेरे पास,  वही आलम पुराना है, तुम ही को भुलाने की कोशिशें करना, और तुम ही को याद आना हैं....

तेरे बिना दिल नहीं लगता शायरी

दिल की आवाज़ को इज़हार कहते है, झुकी निगाह को इकरार कहते है, सिर्फ़ पाने का नाम इश्क़ नही, कुछ खोने को भी प्यार कहते हैं..