zindagi ka kadwa sach gulzar shayari
बदल जाओ वक़्त के साथ
या वक़्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो,
हर हाल में चलना सीखो.
कैसे कह दू कि महंगाई बहुत है,
मेरे शहर के चौराहे पर आज भी..
एक रुपये में कई कई दुआएं मिलती है …
पहली मोहब्बत लोगों को
एक बात सिखा देती है
कि दूसरी अगर करो
तो हद में रहकर करना..
जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन आस पास होता है,
कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यूँ तेरा इंतज़ार रहता है..
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है.
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है..
मैंने दबी आवाज़ में पूछा,
मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली.. बहुत..
Gulzar shayari
मत पूछो कैसे गुज़रता है
हर पल तुम्हारे बिना
कभी बात करने की हसरत
तो कभी देखने की तमन्ना..
दिल में कुछ जलता है शायद,
धुआँ धुआँ सा लगता है
आँख में कुछ चुभता है शायद,
सपना सा कोई सुलगता है..
जब भी आंखों में अश्क भर आए
लोग कुछ डूबते नजर आए
चांद जितने भी गुम हुए शब के
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आए..
क़यामत तक याद करोगी,
किसी ने दिल लगाया था,
एक होने की उम्मीद भी ना थी,
फिर भी पागलो की तरह चाहा था..
आज मैंने खुद से एक वादा किया है,
माफ़ी मांगूंगा तुझसे तुझे रुसवा किया है,
हर मोड़ पर रहूँगा मैं तेरे साथ साथ,
अनजाने में मैंने तुझको बहुत दर्द दिया है..
kadwa sach