ज़िन्दगी की जरूरतें समझिए
वक्त कम है फरमाइश लम्बी हैं
झूठ-सच जीत हार की बातें छोड़िये,
दास्तान बहुत लम्बी है..
pareshani se bhari zindagi shayari
सच हमेशा कड़वा होता है
चैन तो इस दिल का खोता है
मीठे सपनों की ज़मीन पर
पेड़ क्यूँ नीम का बोता है
पहले जो हँसता है जितना
वहीं बाद में उतना रोता है..
जेहन तक तस्लीम कर लेता है उसकी बर्तरी,
आँख तक तस्दीक कर देती है बंदा ठीक है,
एक तेरी आवाज़ सुनने के लिए ज़िंदा है हम,
तू ही जब ख़ामोश हो जाए तो फिर क्या ठीक है..
pareshani se bhari zindagi shayari
यह मेरा टूटना और टूट कर बिखर जाना,
कोई इत्तेफाक नहीं है,
किसी ने बहुत मेहनत की है,
मुझे इस हाल तक पहुंचाने के लिए..
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
जिंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है..
pareshani se bhari zindagi shayari
जिंदगी बहुत खूबसूरत है,
जिंदगी से प्यार करो,
अगर हो रात तो, सुबह का इंतजार करो,
वो पल भी आएगा जिसका तुझे इंतेज़ार है,
बस उस खुदा पर भरोसा और वक्त पर ऐतवार करो..
pareshani se bhari zindagi shayari
कल न हम होंगे न कोई गिला होगा,
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिलसिला होगा,
जो लम्हे है चलो हंसकर बिता लें,
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा...
फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में,
फर्क होता है किस्मत और लकीर में..
अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना..
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में..
pareshani se bhari zindagi shayari
ज़िन्दगी में ख़ुशी नहीं गम पड़ गए
आँखों से निकले आंसूं भी नम पड़ गए
वक़्त ही कुछ ऐसा पड़ा यारों कि
बयां करने के लिए लफ्ज़ ही कम पड़ गए..