zindagi ka sach

धीरे धीरे उम्र कट जाती है,  जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,  कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है,  और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है…

zindagi ka sach

पहेली तू जिंदगी की, कब नादान समझेगा, बहुत दुश्वरिया होगी, अगर आसान समझेगा..

zindagi ka sach

माना कि मुझ पर तेरे अहसान बहुत हैं मगर ए जिन्दगी तुझसे हम परेशान बहुत हैं, कोई नहीं मिलता है जो बाँट ले दर्द मेरा मतलब से मिलने वाले इन्सान बहुत हैं..

zindagi ka sach

ग़मों से भरा है जिन्दगी का सफ़र, हर शख्स आगे बढ़ रहा है, मौत ही है इसकी आखिरी मंजिल, सबका तजुर्बा यही कह रहा है..

zindagi ka sach

इंसान हँसता तो सबके सामने है, लेकिन रोता सिर्फ उसी के सामने है जिससे वो, खुद से ज्यादा भरोशा और प्यार करता है..

zindagi ka sach

ज़िंदगी के सही और गलत के बीच में क्या है,  और जो सही है वो सही क्यों नहीं लगता,  और जो गलत है वो सही क्यों लगता,  सही और गलत का फैसला आखिर कौन करता है..

zindagi ka sach

हक़ीक़त तो ये है की दुनिया में अकेले आए थे,  अकेले ही रहना पड़ता है और अकेले ही जाना पड़ता है,  क्यूंकि कोई साथ तो रह लेता है मगर कोई साथ नहीं देता..

zindagi ka sach

ज़िन्दगी के रथ में लगाम बहुत है, अपनो के अपनो पर इल्जाम  बहुत है, ये शिकायतों का दौर देखता हूँ तो थम सा जाता हूँ, लगता है उम्र कम है और इम्तिहान  बहोत है… 

zindagi ka sach

जिंदगी में मेहनत करने,  वाले लोग हमेशा जीतते हैं,  क्यूंकि मेहनत के आगे तो,  हार भी अपना रास्ता बदल लेती है..

zindagi ka sach

सच्चे किस्से शराबखाने में सुने, वो भी हाथ मे जाम लेकर, झूठे किस्से अदालत में सुने, वो भी हाथ मे गीता-कुरान लेकर..

zindagi ka sach

जो लोग ज़िंदगी में, नरक यातनाओ का सामना करते है, इसी ज़िंदगी में स्वर्ग भी, कही न कही उन्हें हे नसीब होता है…