अधूरा सा इश्क शायरी

वक्त कम था बात अधूरी रह गई, अच्छे लोगो से मुलाकात अधूरी रह गई उसके जाने के बाद हम रोये बहुत, कौन कहता है बरसात अधूरी रह गई..

तनहाइयों मे मुस्कुराना इश्क़ है  इस बात को सब से छुपाना इश्क़ है  यूँ तो नींद नही आती हमें रात भर मगर  सोते सोते जागना और जागते जागते सोना इश्क़ है..

देखो अगर हाथ पकड़ना है  तो उम्र भर के लिए पकड़ना क्या है ना की मुझे जिंदगी बितानी है  सड़क पार नहीं करनी है 

मैंने जान बचा के रखी है एक जान के लिए , इतना इश्क़ कैसे हो गया ' एक अनजान के लिए..

मासूम सी मोहब्बत का  बस इतना सा फ़साना है, कागज की हवेली है  बारिश का ज़माना है.

कहते हे हाथो कि लकीरे अधूरी हो  तो  किस्मत में मोहब्बत नहीं होती, पर सच तो ये हे कि हाथो में हो  कोई प्यारा हाथ तो लकीरो कि  भी जरुरत नहीं होती..

अधूरी ख्वाइस पूरी हो जाए  मुझे याद करना उनकी मज़बूरी हो जाए ऐ खुदा कुछ ऐसी तकदीर बना दे  मेरी की उनकी हर ख़ुशी  हमारे बिना अधूरी हो जाए..

सिर्फ पर्दा दिखाई देता है,  देखिये क्या क्या दिखाई देता है,  मेरी हालात नजर नहीं आती,  मेरा सिकवा दिखाई देता है..

हर रात को तुम इतना याद आती हो कि हम भूल गए हैं कि ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं या तुम्हारी यादों के लिए..