पहले ज़िन्दगी छीन ली मुझसे, अब मेरी मौत का वो फायदा उठाती है, मेरी कब्र पे फूल चढ़ाने के बहाने, वो किसी और से मिलने आती है
जिस तरह तुझसे हम बिछड़े थे, कि तुझे अलविदा भी ना कह सका, तेरी सादगी में इतना फरेब था, कि तुझे बेवफा भी ना कह सका
मेरे कलम से लफ्ज़ खो गए सायद आज वो भी बेवफा हो गाए सायद जब नींद खुली तो पलकों में पानी था मेरे ख्वाब मुझपे रो गाए सायद..
कभी जो हम से प्यार बेशुमार करते थे, कभी जो हम पर जान निसार करते थे, भरी महफ़िल में हमको बेवफा कहते हैं, जो खुद से ज़्यादा हमपर ऐतबार करते थे
हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है, हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है, तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग, हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है
मोहब्बत ने आज हमको रुला दिया जिस पर मरते थे उसने ही भुला दिया उसकी याद भुलाने के लिए आँसू पीती गई एक दिन बेवफा ने उसमे भी ज़हर मिला दिया..
मोहब्बत की राहों का अंजाम यही है, ग़म को अपना लो बस पैगाम यही है, इस शहर में मोहब्बत ढूंढे न मिलेगी, हाँ बेवफ़ाओं का तो ऐलान यही है