हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है,हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है,तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग,हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है
हर भूल तेरी माफ़ की तेरी हर खता को भुला दिया,गम है कि मेरे प्यार का तूने बेवफाई सिला दिया
Click Here
मोहब्बत ने आज हमको रुला दियाजिस पर मरते थे उसने ही भुला दियाउसकी याद भुलाने के लिए आँसू पीती गईएक दिन बेवफा ने उसमे भी ज़हर मिला दिया..
मोहब्बत की राहों का अंजाम यही है,ग़म को अपना लो बस पैगाम यही है,इस शहर में मोहब्बत ढूंढे न मिलेगी,हाँ बेवफ़ाओं का तो ऐलान यही है