एक सपने के टूटकर
चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के
हौसले को ‘ज़िंदगी’ कहते हैं…
gulzar shayari zindagi ka sach
बदल जाओ वक़्त के साथ
,
या वक़्त बदलना सीखो
,
मजबूरियों को मत कोसो
,
हर हाल में चलना सीखो..
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तुम शोर करते हो
¸
सुर्खियों में आने के लिए
¸
हमारी तो खामोशियां
अखबार बनी हुई है..
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अजीब दस्तूर है जमाने का
,
अच्छी यादें पेन ड्राइव में
,
और बुरी यादें दिल में रखते है..
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मेरे दिल में एक धड़कन तेरी है
,
उस धड़कन की कसम तू ज़िन्दगी मेरी है
,
मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी है
,
जो कभी सांस रुक जाये तो मौत मेरी है..
उम्र और ज़िन्दगी में बस फर्क इतना..
जो दोस्तों बिन बीती वो उम्र
और जो दोस्तों संग गुज़री वो ज़िन्दगी
…
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थोड़ा सा रफू करके देखिए ना
फिर से नई सी लगेगी
जिंदगी ही तो है
…
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गलतियाँ भी होंगी और
गलत भी समझा जाएगा
यह ज़िन्दगी है जनाब
यहाँ तारीफे भी होगी
और कोसा भी जाएगा
…
आज मैंने खुद से एक वादा किया है
,
माफ़ी मांगूंगा तुझसे तुझे रुसवा किया है
,
हर मोड़ पर रहूँगा मैं तेरे साथ साथ
,
अनजाने में मैंने तुझको बहुत दर्द दिया है..
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इक ज़रा चेहरा उधर कीजिये
,
इनायत होगी आप को देख के
,
बड़ी देर से मेरी सांस रुकी है
…
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Zindagi ka sach
दिल में कुछ जलता है शायद
,
धुआँ धुआँ सा लगता है
,
आँख में कुछ चुभता है शायद
,
सपना सा कोई सुलगता है..
gulzar shayari zindagi ka sach
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