नैनो के तीर शायरी

इश्क़ मिला तो राहें आसान सी हो गई  दर्द पाया तो निगाहें नम सी हो गई  खुशी और गम के पल कुछ इस तरह से मिले, की ज़िंदगी ही पूरी एक ग़ज़ल सी हो गई..

धर-धर तीर चल रहे थे नयनों से  उन्होने समझा मोतियों की माला  बिखर रही है अंधेरों को छूकर.. 

अपने को निखारो तो  किस चीज की कमी है? झाड़ो  चेहरे को  देखो तो कितनी धूल जमी है..

नित नैना तीर चलाता है अश्कों की ही अतिवृष्टी में हृदय भी खूब नहाता है.. नित नैना तीर चलाता है नित नैना तीर चलाता है..

आना था बड़ा मुश्किल तेरे शहर मैं अये दिलबर, पर तेरे लिए मैं सब छोड़ के आऊँगी  जीने का नया तुझ को अंदाज़ सीखा दूँगी, आकार मैं तुझे दिलबर अपना बना लूँगी, बस थोड़ा इंतज़ार मैं जल्दी आऊँगी..

करीब आके तुम दूर क्यों जा रहे हो, खुद ही पर क्यों इतना सितम ढा रहे हो, यह मर्ज ए मोहब्बत तुम्हें लग गया है  तड़पते रहोगे वहा सकून ना मिलेगा, हमको जरा तुम भुला कर तो देखो  मुझसे एक बार तुम दूर जाकर तो देखों..

तमन्ना हो प्यार से मिलने की, तो बंद आंखों में भी नजर आयेगें, महसूस करने की कोशिश तो कीजिये दूर होते हुये भी पास नजर आयेगें..

अपना एक एक वादा इस तरह निभाना है, तुम को मेरे आँगन मैं चाँद बनकर आना है, किस कदर हसीन है तू खुद खबर नहीं तुझको, तेरे हुस्न के आगे चाँद भी पुराना है..

मेरी दिलरुबा बता दे की वो बात कौनसी है, जिसकी वजह से दुनिया तेरे दर पर झूमती है, मैंने दिल के आईने मैं कई बार तुझको देखा, मेरी दिल लगी है तुझसे ही बंदगी है मेरी दिलरुबा बता दे..