नफरतों के जहां में हमको प्यार की बस्तियां बसानी हैं, दूर रहना कोई कमाल नहीं, पास आओ तो कोई बात बने..
नफरत मत करना मुझसे, बुरा लगेगा बस एक बार प्यार से कह देना, अब तेरी जरूरत नहीं..
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था..
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है, नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो हैं..
नफरत का वार मुझ पर ज़ोर से मारना क्योंकि, नफरत मुझसे टकराकर प्यार में बदल जाती है.
हक़ देंगे पूरा उसे निभाने का, कबूल करते हैं नफरत तेरी, खैरात में जो मिले हमें, कबुल तो उसकी मोहब्बत भी नहीं करते हम..