बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाताजो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जातावो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैंजो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता..
बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाताजो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जातावो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैंजो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता..
हम में तू अभी भी थोड़ा बाकि है,आँखों में नजर आते आँसु है,होठों पे तेरी हसि की झांकी हैतू छोड़ गया दिल तोड़ गया,हम जी रहे हैं की...हम में थोड़ी मोहब्बत अभी बाकि है
वो मोहब्बत भी तेरी थी, वो नफ़रत भी तेरी थी,वो अपनाने और ठुकरानी की अदा भी तेरी थी,मे अपनी वफ़ा का इंसाफ़ किससे माँगती..वो शहर भी तेरा था वो अदालत भी तेरी थी..
मेरे दिल की दुनिया पे तेरा ही राज था।कभी तेरे सीर पर भी वफाओ का ताज था।तूने मेरा दिल तोडा पर पता न चला तुझको।क्योंकि टुटा दिल दीवाने का बे आवाज था..