कातिल निगाहों की बेहतरीन शायरी 2 लाइन
कातिल निगाहों की बेहतरीन शायरी 2 लाइन, जब निगाहें ही कातिल हों तो अल्फ़ाज़ की क्या ज़रूरत, मोहब्बत के अंदाज़ जब कातिलाना हों, तो दिल खुद-ब-खुद बेकाबू हो जाए,निगाहों से कहर बरपाने वालों के लिए खास,