gulzar shayari

sach ki zindagi gulzar ki shayari 2023? गुलजार की शायरी हिंदी में

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sach ki zindagi gulzar ki shayari

 

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते

वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते..

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sach ki zindagi gulzar ki shayari

अगर मोहब्बत उनसे ना मिले,

जिनको आप चाहते हो,

तो मोहब्बत उनसे जरूर कर लेना,

जो आपको चाहते हे..

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गुलजार की शायरी हिंदी में

 

मेरी कोई खता तो साबित कर,

जो बुरा हूं तो बुरा साबित कर,

तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जाने,

चल मैं बेवफा ही सही  तू अपनी वफ़ा साबित कर..

 

Meri koi Khata to sabit kar,

Jo Bura Hun To Bura sabit kar ,

Tumhen Chaha Hai Kitna tu kya Jaane,

Chal Main Bewafa Hi Sahi Tu Apni Wafa sabit Kar..

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sach ki zindagi gulzar ki shayari

 

काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी,

तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी..

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गुलजार शायरी motivational

 

उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,

ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे..

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बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,

जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं..

 

Bachapan mein bhari dupahari main naap aate the pura mohalla,

jab se degreeyan damajh main aayi panv jalane lage hai..

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sach ki zindagi gulzar ki shayari

 

गुलजार शायरी जिंदगी

 

आज अगर भर आयी हैं बूंदें बरस जाएंगी,

कल क्या पता इनके लिए आँखें तरस जाएंगी,

जाने कब गुम हुआ कहाँ खोया  एक आंसू छुपा के रखा था..

 

Aaj Agar Bhar Aayi Hai Bundhe Baras Jaayengi,

Kal Kya Pata Inke Liye Aankhe Taras Jaayengi,

Jaane Kab Gum Hua Kaha  Khoya  Ek Aansu Chhupa Ke Rakha Tha..

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तुझ से बिछड़ कर  कब ये हुआ कि मर गए,

तेरे दिन भी गुजर गए  और मेरे दिन भी गुजर गए..

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sach ki zindagi gulzar ki shayari

 

खुशकिस्मत है नफरत उनकी,

जिस पर सिर्फ हमारा हक़ है,

वरना प्यार तो वो सारी दुनिया को करते है.

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गुलजार की दो लाइन शायरी

 

तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,

बेबसी की छत के नीचे  कोई किसी को भूल रहा हैं..

 

Tanhaayi Ki Deewaaro Par Ghutan Ka Parda Jhul raha Hai,

Bebasi Ki Chhat Ke Neeche Koi Kisi Ko Bhula Raha Hai..

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sach ki zindagi gulzar ki

 

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,

किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे..

 

kabhi to chaunk ke dekhe koi hamaari taraf,

kisi ki aankh mein ham ko bhi intizaar dikhe..

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sach ki zindagi gulzar ki shayari

 

यूँ तो रौनकें गुलज़ार थी महफ़िल  उस रोज़ हसीं चहरों से,

जाने कैसे उस पर्दानशी की मासूमियत पर हमारी धड़कने आ गई..

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sach ki zindagi gulzar ki sayari

 

एक सुकून की तलाश में जाने कितनी बेचैनियाँ पाल ली,

और लोग कहते हैं की हम बड़े हो गए हमने ज़िंदगी संभाल ली..

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मत निकला करो इश्क की तलाश में मेरे यार,

क्युकी इश्क खुद ही ढूंढ लेता है उसके जिसे बर्बाद होना होता है..

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sach ki zindagi gulzar ki shayri

 

नहीं ढाल सकते हम अपने आपको  औरों की सोच के हिसाब से,

क्योंकि खुदा ने हमें भी तो  अपना एक कैरेक्टर दिया है..

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